🕉️ चढ़ावे के बारे में (About the Chadava)
यह चढ़ावा “घंटी वाले बाबा” को समर्पित है — जो केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि गहरी आस्था और पूर्ण हुई मनोकामनाओं का सजीव प्रतीक है।
जब भी भक्तों की कोई मनोकामना पूरी होती है, वे कृतज्ञता स्वरूप बाबा को पीतल या कांसे की एक घंटी अर्पित करते हैं।
हर एक घंटी एक कहानी है — एक प्रार्थना और बाबा के चमत्कारी आशीर्वाद की साक्षी।
📖 पौराणिक कथा एवं मान्यता
कहा जाता है कि वर्षों पूर्व एक संत ने इस स्थान पर गहन तपस्या की, जिन्हें लोग "मोती बाबा" के नाम से जानने लगे।
एक दिन एक भक्त ने मन्नत माँगी कि यदि उसका बड़ा संकट दूर हो गया तो वह एक घंटी अर्पित करेगा।
बाबा की कृपा से उसका संकट समाप्त हो गया और उसने अपनी मन्नत पूरी की।
यहीं से यह परंपरा प्रारंभ हुई।
धीरे-धीरे दूर-दूर से श्रद्धालु आने लगे, मन्नतें माँगने और घंटियाँ चढ़ाने।
आज यह मंदिर हजारों घंटियों की ध्वनि से गूंजता है — जो न केवल दिव्य कंपन (divine vibrations) उत्पन्न करती हैं, बल्कि आस्था के जीवंत प्रमाण भी हैं।
🙏 घंटी का आध्यात्मिक महत्व
हिंदू धर्म में घंटी को जाग्रत ऊर्जा का प्रतीक माना गया है।
मंदिर में घंटी बजाना या अर्पित करना नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और शुद्ध चेतना को जागृत करता है।
इस मंदिर में चढ़ाई गई हर घंटी एक कृतज्ञता का संदेश है — जो भक्त द्वारा बाबा के चरणों में श्रद्धापूर्वक समर्पित होती है।
🌸 इस चढ़ावे की विशेषताएँ
🔹 इस मंदिर में कोई पुजारी नहीं हैं, फिर भी सारी व्यवस्था केवल भक्तों की श्रद्धा से सुचारु रूप से चलती है।
🔹 हजारों घंटियाँ मंदिर में टंगी हैं, फिर भी कभी कोई चोरी नहीं हुई — यह सिद्ध करता है कि यहाँ केवल आस्था का राज्य है।
🔹 मंदिर परिसर में गूंजती हर घंटी की ध्वनि एक पूर्ण हुई मन्नत की घोषणा है।